Considerations To Know About Shiv Chalisa
Considerations To Know About Shiv Chalisa
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अर्थ- हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।
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जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।
देवनः यदा यदा गच्छति स्म तदा तदा आहूतवान्।
अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो read more यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥